Home Pyar ka gyan प्यार की शुरुवात कैसे होती है? जानें प से प्रेम कैसे होता है

प्यार की शुरुवात कैसे होती है? जानें प से प्रेम कैसे होता है

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प्यार की शुरुवात कैसे होती है? जानें प से प्रेम कैसे होता है

प्यार की शुरुवात कैसे होती है: प्यार को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल आते हैं। प्यार के बारे में जानते तो सब हैं लेकिन जब तक लोगों को प्यार का एहसास ना हो, तब तक उनके मन में अलग-अलग तरह के सवाल आते रहते हैं। ‌

प्यार की शुरुवात कैसे होती है

अगर आपका दिल भी किसी की तरफ खिंचा चला जा रहा है और आपके मन में ये सवाल आ रहा है की प्यार की शुरुआत कैसे होती हैं?

तो आप बिल्कुल सही आर्टिकल पढ़ रहे हैं। ‌क्योंकि इस पोस्ट में आज मैं आपको बताऊंगी की प्यार किस तरह से शुरू होता है। मुझे लगता है कि अगर आपने इस आर्टिकल को पूरा पढ़ा तो आज आप प्यार के बारे में यहां से कुछ नया सीखकर ही जाएंगे।

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हमने अब तक यही सुना है कि जब किसी को किसी से प्यार होता है। तो दिल में गुदगुदी होने लगती हैं, होश ठिकाने पर नहीं रहता, मन अकारण ही खुश होने लगता है, कभी खुशी तो कभी उदासी महसूस होती है। लेकिन ये सारी बातें बिल्कुल झूठ हैं!

मिथ्या है! इस तरह की बातें कहकर लोगों को सिर्फ भ्रमित किया गया है।

लेकिन परेशानी ये हैं कि लोगों ने इसे ही सच मान लिया हैं। इसीलिए सभी प्यार में पड़ने के बाद एक जैसी बातें करते हैं।‌ लेकिन जब आपको सच में किसी से प्यार होता है तब बातें ही अलग होती हैं।

साधारणतः प्यार में पड़ने के बाद लोग खुश होते हैं लेकिन जब आपको सच्चा प्यार होगा तो आप बेचैन हो जाएंगे। अब ऐसा होता है या नहीं, ये तो आप को आगे ही पता चलेगा।

1. प्यार की शुरुआत प्यार सीखने से होती है!

अगर आप सोचते हैं की कोई लड़की आपको पसंद आई या फिर कोई लड़का आपको पसंद आ गया और उस इंसान को देखकर आपकी धड़कने तेज हो गई या फिर आपकी आंखें उसी पर अटक गई। तो ये प्यार है! लेकिन नहीं ये प्यार नहीं है।

आपकी आंखें तो कपड़ों की दुकान में बाजार में दिखाई दे रही खूबसूरत शर्ट पर चली जाती है तो क्या वो प्यार है ? नहीं ना! प्यार की शुरुआत कब होती है जब आप प्यार सीखना शुरू करते हैं, प्यार के बारे में जानना शुरू करते हैं, सच्चे प्रेम का मतलब समझते हैं!

प्यार को गहराई से जानने की कोशिश करते हैं तब आपको प्यार होता है। प्यार को सीखे बिना आप कभी भी प्यार नहीं कर सकते हैं क्योंकि प्यार सीखे बिना अगर आप किसी से प्यार करेंगे, तो वो प्यार नहीं बल्कि मोह होगा।

अब देखिए जैसे कि आप इस आर्टिकल को पढ़ रहे हैं! तो इस लेख को पढ़कर अपने प्यार का मतलब समझा। अपने जाना की प्यार क्या होता है और प्यार की शुरुआत सच में कैसे होती है।

इस तरह से आपने कहीं ना कहीं प्यार को सीखा है, जाना है। तो अब जब आपके सामने कोई ऐसा होगा जिसका भला करने से, भला चाहने से खुद को रोक नहीं पाएंगे तो वो प्यार होगा।

2. सच्चे प्यार का मतलब होगी प्यार की  शुरुवात!

प्यार को सीखने के बाद भी आप तब तक प्यार नहीं कर पाएंगे जब तक आप सच्चे प्यार का मतलब नहीं समझ लेंगे। लोगों को लगता है की किसी एक व्यक्ति से पूरी उम्र प्यार करना सच्चा प्यार होता है। पर ऐसा नहीं है!

सच्चे प्यार का मतलब दूसरे की भलाई चाहना होता है! आपके लिए कोई दूसरा इतना जरूरी हो जाता है कि आप उसका भला करने के लिए, उसे आगे बढ़ाने के लिए, उसे तरक्की देने के लिए खुद का भी नुकसान करवा सकते हैं।

जब आपके अंदर सच्चे प्यार की समझ आ जाएगी। जब आप देख पाएंगे की दुनिया में ज्यादातर लोग प्यार के नाम पर सिर्फ छलावा करते हैं। तब आप सही मायने में प्यार करने की काबिल बन जाएंगे और वहीं से फिर प्यार की शुरुआत होगी।

3. जब आप के अंदर समझदारी आती है !

प्यार को समझने के बाद कोई इंसान नासमझ रह ही नहीं सकता हैं। जब आप प्यार को समझेंगे तो आप खुद से प्यार करने लगेंगे। क्योंकि प्यार यही कहता है की दूसरों से पहले आपको खुद को प्यार करना चाहिए।‌

अगर आप खुद से ही प्यार नहीं करते तो आप दूसरे से क्या प्यार करेंगे प्यार में किसी दूसरे व्यक्ति को मुक्त करने के लिए पहले अपनी बेड़ियों को काटना पड़ता है। आप अपने पैरों में बेड़िया लेकर दूसरे का भला करने के बारे में नहीं सोच सकते हैं।

मान लीजिए आपको कोई लड़की पसंद है और उस लड़की को दूसरे शहर जाकर नौकरी करनी है, खुद के पैरों पर खड़ा होना है। तो ऐसे में एक प्रेमी होने नाते आप यही चाहेंगे की आपकी प्रेमिका अपने जीवन में तरक्की करें।

लेकिन अगर आप खुद इतने आजाद नहीं है की आप अपने प्रेमिका के साथ दूसरे शहर जा सके या फिर अपने घर वालों के सामने दूसरे शहर जाने की बात कर सके। तो आप अपने प्रेमिका के लिए फिर क्या ही कर पाएंगे।

इसीलिए जो व्यक्ति दूसरे से प्यार करता है उसे व्यक्ति को पहले खुद से प्यार करना जरूरी होता है। जब इंसान खुद से प्यार करता है, अपनी कमियों पर काम करता है, अपने आपके साथ खुश होता है।

तब जाकर वो सही मायने में किसी और को प्यार देने के काबिल बन पाता है। क्योंकि तब उसे दूसरे से प्यार की कोई उम्मीद ही नहीं रहती है। जो प्यार दूसरा उसे दे सकता है वो प्यार पहले से ही उसके पास होता है।

4. जब आप प्यार और मोह का अंतर जान लेते हैं!

जो इंसान प्यार और मोह में अंतर जान लेता है। वो न सिर्फ प्यार करने के काबिल बन जाता है बल्कि एक अच्छा प्रेमी भी बनता है।

प्यार में लोग जिसे प्यार करते हैं वो उनकी भलाई सोचते हैं वो सोचते हैं की ऐसा क्या किया जाए की उनके प्रेमी या फिर प्रेमिका की जिन्दगी बेहतर हो जाए!

वहीँ दूसरी तरफ मोह में स्वार्थ आ जाता है। लोग सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं! उनकी मनोदशा ऐसी होती है की भले ही उनके प्रेमी या फिर प्रेमिका का नुकसान हो जाए! पर वो उनके साथ गोंद की तरह चिपके हुए होने चाहिए।

जब लोग प्यार के नाम पर अपने बारे में ज्यादा और दूसरे के बारे में कम सोचते हैं, सिर्फ अपने स्वार्थ पूर्ति के बारे में सोचते हैं। तो वो मोह होता है।

जब व्यक्ति यह समझ लेता है कि प्यार और मोह में अंतर होता है। तभी सही मायने में वो प्यार को समझ पाता है और प्यार कर पाता हैं।

5. जब दूसरे की भलाई आपका लक्ष्य बन जाता है !

जब आप सच्चे प्यार को समझ जाते हैं। जब आपको किसी दूसरे व्यक्ति की प्यार की कोई जरूरत ही नहीं होती। आपके अंदर पहले से ही बहुत सारा प्यार होता है।

पर किसी व्यक्ति की परेशानियों को देखकर आपको उसकी परेशानी को ठीक करने का मन करता है या फिर आप किसी इंसान का भला करने के लिए अपने व्यक्तित्व को भूल जाएं।

ऐसा होने पर आप बोल सकते हैं कि आपको प्यार हो गया है। प्यार करना कोई बच्चों का खेल नहीं है, प्यार करने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं, दांतो तले उंगली चबानी पड़ती है।

ये पता होने के बाद भी अगर मैं दूसरे का ज्यादा भला चाहूंगा तो वो उल्टा मुझे ही छोड़ देगा आपको उसका भला करना होता है।

6. जब आप दूसरे को पाने का नहीं उन्हें मुक्ति देने का सोचते हैं!

एक व्यक्ति को प्यार तब होता है, जब उसके दिल में ये नहीं होता की जिस इंसान से वो प्यार करता हैं, वो उसे मिल जाए। सच्चा प्यार करने वाले लोग कभी भी किसी को पाने की चाहत नहीं रखते हैं बल्कि उनका मुख्य उद्देश्य सिर्फ सामने वाले को मुक्ति देना होता है।

अगर ऐसे लोगों को जरूरत पड़ती है तो वह अपने प्रेमी को खुद से भी मुक्त करने से पहले एक बार नहीं सोचते हैं। यही कारण है कि कहने वाले कह गए हैं की आग का दरिया है और डूब कर जाना है।

7. जब आप समझते हैं की प्रेम बाहर नहीं अन्दर है!

आपको लगता होगा कि कोई इंसान आपको पसंद आया और आपको उससे प्यार हो गया। नहीं, ऐसा नहीं होता! प्यार दूसरे से नहीं होता सच्चा प्यार तो आपको अपने अंदर महसूस होता है। हम सोचते हैं की कोई दूसरा जब हमें प्यार करेगा, तो हमें प्यार मिलेगा।

पर ये बिल्कुल गलत धारणा है। क्योंकि जो इंसान प्यार को समझ लेता है उसे किसी और से प्यार करने का इंतजार नहीं रहता। उसके दिल में पहले से ही अपने लिए बहुत ज्यादा प्यार होता है। यही कारण है कि वो प्यार पाने के बारे में नहीं बल्कि प्यार बांटने के बारे में सोचता है।

“आप जीजस को देख लीजिए उन्होंने कभी भी किसी से उनका प्यार नहीं मांगा पर उनके अंदर इतना प्यार इतनी करुणा थी कि उन्होंने पूरी दुनिया को अपना प्यार देने के लिए मौत तक को स्वीकार कर लिया।”

तो प्यार कुछ इस तरह से होता है। इसीलिए प्यार को ज्यादा हल्के में मत दीजिए क्योंकि प्यार करना शूरवीरों का काम है।

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Conclusion

दोस्तों इस लेख को पढ़ने के बाद आपको प्यार की शुरुवात कैसे होती है? अपने इस सवाल का जवाब मिल गया होगा। मैंने बहुत ही गहराई से आपको आपके सवाल का जवाब देने की पूरी कोशिश की है। ऐसे में अगर आपको इस लेख में बताई गई बातें अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर कीजिए।

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